बुधवार, 5 जून 2013

नुमाइश

देखें मुझ से मिलने के तलबगार कितने हैं
कितने हैं दुश्मन मेरे और मेरे यार कितने हैं

राह में उसकी कब से बिछा राखी है आँखें
जाने मेरी किस्मत में इंतजार कितने हैं

सरे राह इस भीड़ में मेरी नुमाइश है
अंदाजा नहीं मुझे की खरीदार कितने हैं

नसीब में लिखा था इस दयार  तक आना
अपनी ही निगाहों में हम शर्मसार कितने हैं


रविवार, 2 जून 2013

हिजाब

कुछ गम तो कुछ ख़ुशी हैं जिन्दगी के हिसाब में
मै भी चुप हूँ उसकी ख़ामोशी के जवाब में

हकीकत में वो गैर है ये जानती हूँ मै
लगता है क्यों वो अपना जब आता है ख्वाब में

क्यों मेरे जज्बातों को पढ़ नहीं पाता
नाम जिसका लिखा है दिल की किताब में

खुद करे वो दिन भी आये जिन्दगी में
तरसे वो दीदार को और मै निकलूँ हिजाब में



गुरुवार, 30 मई 2013

काफ़िर

वो सबसे अलग सबसे जुदा सा लगता है
मुस्कुराता है मगर गमजदा  सा लगता है
              
पूछो जरा कोई क्या है खता मेरी
कहता कुछ भी नहीं पर मुझ से खफा सा लगता है

जाने क्या बात है मेरे दुश्मन तुझ में
दुश्मनी लाख सही दिल तुझ पे फ़िदा सा लगता है

मेरी खामोश जिन्दगी में यूँ  आना तेरा
गमो की धूप में ठंडी हवा सा लगता है

करूँ सजदे किस को बता ऐ दुनिया
है वो काफ़िर मगर हम को खुदा सा लगता है

मुझ से हर बात वो इस अदा से कहता है
उसका हर लफ्ज मुझ को दुआ सा लगता है

कलाम तेरा है या किसी और का बता ऐ शायर
लिखा जो तूने अभी क्यों हम को पढ़ा सा लगता है




शनिवार, 30 मार्च 2013

कफ़न


कौन दोस्त कौन दुश्मन होगा
किस के हाथों में मेरा दामन होगा
भीगी पलकों पे आया ये कौन सा मौसम
शायद मेरी आँखों का ये सावन होगा
लिख कर ना मिटा मेरा नाम ऐ साकी
अब ये मयकदा ही मेरा घर मेरा आंगन होगा
मर के भी उनका दीदार कर ना सकेंगे
आयेंगे जिस वक्त वो मेरे चेहरे पर कफ़न होगा