दिल के दर्द को आँखों के रास्ते निकल जाने दो
मेरे गम को आंसुओं के साथ ही बह जाने दो
क्या शिकवा और शिकायत है खुल कर जरा कहो
दिल की कोई बात दिल में ही न रह जाने दो
तुम साथ हो तो शराब की जरूरत भला क्या है
हमारी रात कभी ऐसे भी ढल जाने दो
आओ दिलों की दूरियां मिटा दें कुछ इस तरह
सीने से लगा लो हमें बांहों में सिमट जाने दो
खुद पर यकीन है तुम्हें पा कर ही रहेंगे
तकदीर को छोड़ो हमे खुद को आजमाने दो
मेरी खुशबू से महके तेरे घर का हर कोना
अपने आँगन में मुझे पत्तों सा बिखर जाने दो
जो कहना था इस गजल में वो हमने कह दिया
यहाँ और भी शायर हैं कुछ उनको भी सुनाने दो
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