लोग क्यों दिल को दुखाने की बात करते हैं
दे कर सहारा फिर से छोड़ जाने की बात करते हैं
करते थे कोशिश जो कभी हंसाने की हमको
आज क्यों हमको वो रुलाने की बात करते हैं
शिकवा है उनसे हमको इस बात का फ़क़त
हम सिर्फ उनकी और वो ज़माने की बात करते हैं
जो कभी इन आँखों को कहते थे पैमाना
आज वो किसी दूसरे मयखाने की बात करते हैं
दे कर सहारा फिर से छोड़ जाने की बात करते हैं
करते थे कोशिश जो कभी हंसाने की हमको
आज क्यों हमको वो रुलाने की बात करते हैं
शिकवा है उनसे हमको इस बात का फ़क़त
हम सिर्फ उनकी और वो ज़माने की बात करते हैं
जो कभी इन आँखों को कहते थे पैमाना
आज वो किसी दूसरे मयखाने की बात करते हैं